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महाराणा प्रताप महाविद्यालय की स्थापना के साथ ही इस महाविद्यालय ने प्रथम सत्र की अग्रणी शिक्षण संस्थाओं में अपना स्थान बना दिया जिसके पीछे महाविद्यालय में पठन-पाठन के उचित माहौल के साथ-साथ यहाँ के समृद्ध पुस्तकालय की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। प्रारम्भिक वर्ष से ही इस पुस्तकालय का संचालन महाविद्यालय द्वारा किया जा रहा है। नियमित सूत्रों में यह पुस्तकालय सुबह आठ बजे से सांयकांल पाँच बजे तक छात्र/छात्राओं के लिए खुला रहता है जिसे महाविद्यालय द्वारा भविष्य में २४ घन्टें खोलने की योजना है। इसके अतिरिक्त छात्र/छात्राओं की आवश्यकताओं के आधार पर इस पुस्तकालय को पूर्व सूचना देने पर अवकाश के दिन भी खोले जाने की व्यवस्था है। पुस्तकालय में स्नातक, कला, विज्ञान एवं वाणिज्य, के तीनों वर्षो के पाठ्यक्रम की सम्पूर्ण पुस्तकों का विशाल संग्रह है एवं पाठ्य पुस्तकों के अतिरिक्त सन्दर्भ ग्रंथो एवं विदेशी लेखकों की पुस्तकों का पर्याप्त संकलन छात्र/छात्राओं को उपलब्ध कराया जाता है।
पाठ्यक्रम के अतिरिक्त इस पुस्तकालय में यह मानते हुए कि केवल पाठ्य क्रम से सम्बन्धित शिक्षा ही सम्पूर्ण शिक्षा नहीं होती है। भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति, हिन्दुत्व, एवं राष्ट्रीयता से सम्बन्धित सैकड़ों धार्मिक एवं ऐतिहासिक पुस्तकों का अनुपम संग्रह रखा गया है। जो भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति के बारे में छात्र/छात्राओं को निरन्तर ज्ञान प्रदान करता रहता है।
पुस्तकालयों में पुस्तकों के संकलन के साथ ही लगभग एक सौ पच्चास छात्र/छात्राओं के बैठने के लिए विशाल वाचनालय उपलब्ध है जिसमें यदि दो कक्षाओं के विद्यार्थी एक साथ यदि कक्षाओं के खाली रहने पर उपलब्ध है तो उनके बैठने की व्यवस्था पुस्तकालय के वाचनालय में उपलब्ध है।
इसके अतिरिक्त पुस्तकालय द्वारा दी जा रही सुविधाओं में मेधावी छात्र/छात्राओं को विश्विद्यालयी परीक्षा एवं विश्वविद्यालय पूर्व परीक्षा में जो उच्च स्थान प्राप्त करते हैं उन्हें पुस्तकालय से असीमित पुस्तकों को लेने की सुविधा मिलती है। उच्च स्थान प्राप्त प्राप्त करने वाले छात्र/छात्राओं की कापियाँ भी अन्य विद्यार्थियों के अवलोकन हेतु पुस्तकालय द्वारा संग्रहित की जाती है।